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पशु डिस्पेंसरियां बनी पशु पालकों के लिए सिर दर्द

पशु डिस्पेंसरियां बनी पशु पालकों के लिए सिर दर्द

पशु डिस्पेंसरियां बनी पशु पालकों के लिए सिर दर्द

धारकलां तहसील के अधीन आती विभिन्न पशु डिस्पेंसरियां बीते लंबे समय से पशु पालकों के लिए सिर दर्द बनी हुई हैं। पशु डिस्पेंसरियों में स्टाफ तो हैं, परंतु बिना दवाइयों के बिना यह स्टाफ पशु पालकों के लिए किसी भी तरह से लाभप्रद नहीं हैं।

पशु पालक रुपेश मन्हास निवासी रोघ, पम्मी पठानिया निवासी भंगुडी, राकेश धीमान निवासी नगरोटा, प्रीतम ¨सह निवासी बरेटा, जसवंत ¨सह कालू निवासी लेहरुण ने बताया कि उनके गांवों में पशु डिस्पेंसरियों में स्टाफ तो हैं, परंतु जरुरी दवाईयां उपलब्ध नहीं हैं, जिससे दुधारू पशु एवं कृषि से संबंधित पशुओं के बीमार होने से डिस्पेंसरी में संपर्क करने पर उन्हें जरूरी दवाई पर्ची पर लिखकर लाने के लिए कहा जाता हैं, ऐसे में पशु पालक दवाई शहर से लाने के बजाए देसी तरीकों पर ही निर्भर रह जाते हैं।

उन्होंने बताया कि डिस्पेंसरियों में किसी भी तरह की एंटीबायटिक, फरनैल एवं टी टी आयल तक उपलब्ध नहीं हैं, जिससे पशुओं को फस्टेड मिल सके। उन्होंने बताया कि पूर्व सरकार ने कभी भी धार क्षेत्र की मूलभुत सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया हैं, ऐसे में अब राज्य की कैप्टन सरकार में लोगों को आशा की किरण जगी हैं कि अब धारकलां की तरफ विशेष ध्यान दिया जाएगा।

क्षेत्र के समूह पशु पालकों, किसानों एवं ग्राम पंचायतों ने जिला प्रशासन से मांग की हैं कि धारकलां में पड़ती पशु डिस्पेंसरियों में जरूरी दवाइयों का स्टाक उपलब्ध करवाया जाए, ताकि पशु पालकों को परेशान न होना पड़े।


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