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शाहपुरकंडी बांध परियोजना पर पावर हाऊस बनाने की अनुमति मिली, 621 करोड़ रुपये होंगे खर्च

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रणजीत सागर बांध परियोजना की दूसरी 206 मैगावाट शाहपुरकंडी बांध प्रोजेक्ट को पूरा करने की सभी औपचारिकताएं आखिरकार पूरा हो गई हैं। 621 करोड़ रुपये खर्च कर रणजीत सागर बांध परियोजना पर बनने वाले पावर हाऊस की अनुमति मिल गई हैं। इस प्रोजेक्ट में दो पावर हाऊस बनाएं जाएंगे। इसमें पावर हाऊस नंबर-एक में 33-33 मैगावाट की तीन मशीने लगाई जाएंगी, जबकि पावर हाऊस दो में 33-33 मैगावाट की तीन मशीनों के साथ आठ मैगावाट की एक अतिरिक्त मशीन स्थापित कर 206 मैगावाट बिजली उत्पन्न की जाएगी।

शाहपुरकंडी बांध परियोजना के अभियंता हेडक्वार्टर लखविद्र सिंह ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत 2022 में डैम के कार्य को सर्वप्रथम पूरा किया जाएगा। साल 2024 में पावर हाऊस तैयार करने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा, जिसके बाद झील में पानी भरने के बाद इसमें से 206 मैगावाट बिजली उत्पादन कर देश की जरूरत को पूरा किया जाएगा। इसका फायदा ये रहेगा कि इससे जहां एक ओर पंजाब की 5000 हजार एकड़ से अधिक फसल की सिचाई के लिए पानी मिल पाएगा, वहीं दूसरी ओर पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर की 32173 एकड़ जमीन को सिचाई के लिए पानी मिलने के साथ-साथ हर साल पाकिस्तान को जाने वाले पानी पर भी रोक लग सकेगी।

3 मार्च 1979 को दो इकाइयां बनाने में बनी थी सहमति

जानकारी के अनुसार तीन मार्च 1979 को जम्मू-कश्मीर के सीएम शेख अब्दुल्ला व पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बीच रणजीत सागर बांध परियोजना और शाहपुरकंडी बांध में दो इकाइयां बनाने में सहमति बनी थी। इस सहमति में दोनों राज्यों का पानी और बिजली देने पर समझौता हुआ था। इसमें 2001 में रणजीत सागर बांध परियोजना का कार्य निर्माण तो पूरा हो गया, परंतु शाहपुरकंडी बांध परियोजना का कार्य अधर में लटक गया। इस कारण पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर को शाहपुरकंडी बांध परियोजना के निर्माण के बाद जो पानी मिलना था, वे नहीं मिल पाया। इसी बीच साल 2008 में कांग्रेस सरकार की ओर से आपत्ति जताई गई और दावा किया गया कि पंजाब सरकार की ओर से परियोजना को समय रहते पूरा न करने के कारण जम्मू कश्मीर सरकार को 8599 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। सरकार के पुन: प्रयास के कारण पंजाब और जम्मू कश्मीर की जमीन पर 13 मार्च 2013 को शाहपुरकंडी बांध परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ था पर जम्मू -कश्मीर सरकार ने अपने हिस्से की जमीन पर हो रहे शाहपुरकंडी बांध परियोजना कार्य को एक सितंबर 2014 को बंद करवा दिया था। 7000 करोड़ रुपये की मांग कर समझौते को पुनर्जीवित करने की मांग रखी थी। पीएम हाउस और केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की दखलअंदाजी के बाद मार्च और जुलाई 2017 मे दोनों राज्यों की बैठकों के चलते 24 अगस्त 2017 को जम्मू कश्मीर सरकार ने कैबिनेट मे मंजूरी दी थी। जिस में पिछले समझौते की टर्म एंड कंडीशन को ही शामिल किया गया है। जिसमें भूमि अधिग्रहण का मुआवजा, बांध विस्थापितों को नौकरी और रणजीत सागर बांध परियोजना से निर्माण होने वाली बिजली मे जम्मू कश्मीर की हिस्सेदारी और जम्मू कश्मीर को 1150 क्यूसिक पानी देना शामिल है। इस परियोजना के बंद होने के बाद पंजाब में सत्तासीन उस समय की अकाली भाजपा सरकार ने जम्मू कश्मीर मे सांझीदार भाजपा सरकार और केंद्र मे भाजपा सरकार होने का फायदा उठाते हुए पीएम हाउस की दखलअंदाजी करवाई, जिस से यह सारा मामला अगस्त 2017 मे सुलझ गया। परंतु बावजूद इसके इस निर्माण कार्य को शुरू नहीं करवाई पाई।

जल्द पूरा किया जाएगा काम : अभियंता लखविद्र सिंह

एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हेड क्वार्टर बांध परियोजना लखविद्र सिंह ने बताया कि शाहपुरकंडी बांध का कार्य अब बिना देरी किये किया जाएगा । संभवत: 2022 तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद शाहपुर कंडी बांध से निकलने वाली 7700 मीटर नहर कार्य लगभग पूरा हो चुकी है तथा इस नहर पर 20 करोड़ की लागत से पुल बनवाए जाएंगे। इन पुलों की 900 मीटर, 2000 मीटर, 4760 मीटर और 5698 मीटर पर बनेंगे। इस कार्य को पूरा करने के लिए ओमिल जेवी कपंनी के कार्यपालक डायरेक्टर भरत कोठारी ने आश्वासन दिया कि वह पंजाब सरकार के इस समझौते पर खरे उतरेगें।

5000 हजार एकड़ से अधिक पंजाब में फसल की सिचाई के लिए पानी मिल पाएगा

32173 एकड़ जमीन को सिचाई के लिए जम्मू-कश्मीर की पानी मिलेगा 2022 में पूरा होगा डैम प्रोजेक्ट का कार्य

पाकिस्तान को जाने वाले पानी पर भी लगेगी रोक

2024 से 206 मैगावाट बिजली का होगा उत्पादन


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