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निकाय चुनाव में फूलों की बढ़ी मांग, कारोबारियों के चेहरों पर आई मुस्कान

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लंबे समय से मंदी की मार झेल रहे फूल कारोबारियों के दिन फिरना शुरू हो गए हैं। निकाय चुनाव में फूलों की डिमांड तीन गुणा बढ़ गई है। फूलों की डिमांड बढ़ने के कारण इसके रेट में भी बढ़ोतरी होने के कारण कारोबार से जुड़े कारोबारियों के चेहरों पर लंबे समय बाद मुस्कान लौटी है। यह कारोबार जगत के लिए एक अच्छी खबर है। निकाय चुनाव में फूलों की अचानक से डिमांड इतनी ज्यादा हो गई है कि कारोबारियों के पास पार्टियों द्वारा भेजे जा रहे आर्डरों को पूरा कर पाना मुश्किल हो गया है। कोरोना काल के दौरान आसमान छू रहे थे फूलों के रेट

इलेक्शन से पहले फूलों की मांग न के बराबर थी। पिछले वर्ष मार्च में कोरोना के बाद सितंबर तक तो फूलों के कारोबारियों का हाल बेहाल था। हालांकि, जुलाई में सरकार द्वारा लाक डाउन में मिली छूट के बाद काम तो शुरू हुआ परंतु बहुत कम लोग फूल वगैरह खरीदते थे। लाक डाउन के बाद काम शुरू हुआ लेकिन, फूलों के रेट आसमान छूने लगे। 130 किलो की दर से बिकने वाला गेदा का फूल 400 रुपए प्रति किलो तक चला गया। अब वर्तमान में फिर से फूलों का रेट 120 रुपए प्रति किलो हो गया है।

इलेक्शन से पहले और अब फूलों का रेट

इलेक्श्न से पहले गेंदे के फूलों का हार 10-15 रुपये प्रति हार आसानी से मिल जाता था। लेकिन, जब से चुनाव शुरु हुए हैं वहीं हार 25-30 रुपए में मिल रहा है। इसी प्रकार बुक्का 100 रुपये प्रति मार्केट में बिक रहा था जो अब 150 से 200 रुपये तक हो गया है। गुलाब के फूलों की भी सेल डबल हो गई है। प्रति फूल 20 रुपये में बिकने वाला फूल अब 40 रुपये के हिसाब से मिल रहा है। काम में एक दम से आए उछाल के बाद कारोबारियों को काफी राहत मिली है।

आर्डर नहीं हो रहा पूरा : लक्की

शहर के काली माता मंदिर रोड़ पर पिछले 20 वर्षाें से फूलों का कारोबार कर रहे लक्की फ्लवार के मालिक लक्की ने कोरोना काल को वह सारी उम्र नहीं भूल सकते। कहा कि कोरोना के कारण सभी क्षेत्रों को आर्थिक तौर पर नुक्सान उठाना पड़ा। हालांकि, अधिकतर क्षेत्र पांच महीने के बाद दोबारा पांव पर खड़े होना शुरू हो गए थे। लेकिन, फूलों के कारोबार से जुड़े कारोबारी अभी भी पांव पर नहीं आ पाए हैं। कहा कि अब चुनावों में काफी काम निकला है। पिछले दो-तीन महीनों की कसर लगभग पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के कारण पर्याप्त मात्रा में माल नहीं मिल पा रहा, जिस कारण आर्डर पूरा नहीं हो पा रहा।


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