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पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत तैयार!
नई दिल्ली: भारत ने सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान द्धारा अपने हिस्से के पूरे पानी के इस्तेमाल पर विचार के लिए शुक्रवार को उच्च स्तरीय टास्क-फोर्स की पहली बैठक की। इस दौरान पंजाब और जम्मू कश्मीर में सिंधु नदी पर बनने वाले बांध के काम में तेजी लाने पर चर्चा हुई। खबर के मुताबिक, प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जम्मू कश्मीर में प्रस्तावित पनबिजली परियोजना और सिंधु, झेलम व चेनाब नदी के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए बड़े जलाशय और नहरें बनाने का काम तेज करने पर गहनता से विचार किया गया।
जल्द ग्राउंड देंगे पंजाब-कश्मीर
इस मामले में सिंधु की पूर्वी सहायक नदियों सतलुज, रावी और ब्यास पर संभावित असर को देखते हुए पंजाब की भूमिका अहम हो जाती है, जिसे देखते हुए बैठक में राज्य के मुख्य सचिव ने भी शिरकत की। बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया, इस पहली बैठक का मकसद (सिंधु) समझौते के अंदर रहते हुए अपने हिस्से के पानी का पूरा इस्तेमाल करने के भारत के इरादे को दिखाना और दोनों राज्यों (पंजाब और जम्मू कश्मीर) को इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मनाना था। इसके साथ ही दोनों ही राज्यों को जल्द से जल्द अपनी ग्राउंड रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस संबंध में अगली बैठक जनवरी में होगी।
बूंद-बंदू पानी रोकने की चेतावनी
बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में पंजाब के बठिंडा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि एक-एक बूंद पानी रोककर भारत के किसानों तक पहुंचाया जाएगा। इसके पहले 27 सितंबर को पीएम मोदी के सिंधु नदी जल समझौते की समीक्षा करने के फैसले के बाद से इस प्रोजेक्ट को शुरू किए जाने की कवायद चल रही थी। हालांकि इस चेनाब प्रोजेक्ट से पहले सरकार स्वालकोट (1,856 मेगावॉट), पाकुल दुल (1,000 मेगावॉट) और बुरसर (800 मेगावॉट) प्रोजेक्ट को शुरू करेगी।
SOURCE: goo.gl/Mo07bJ
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