कोरोना से ज्यादा भुखमरी से डर लगता है, इसलिए गांव जा रहे

देश भर में कोरोना की दूसरी लहर का कहर अब फिर से मजदूरों को रुलाने लगा है। देश के विभिन्न हिस्सों में लगने वाले लाकडाउन का डर ऐसे हाबी हो रहा है कि मजदूर मजबूर होकर पलायन कर अपने गांव वापस लौट रहे हैं। पठानकोट कैंट स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे झारखंड के जिला पलम निवासी अशोक चौहान ने कहा कि वह सोमा कंपनी जुगियाल में लेबर का काम करता है वहां काफी सारे लोगों को कोरोना हो गया दहशत फैल गई ऊपर से घर वाले बार-बार फोन कर रहे कि देश भर में फिर से लाकडाउन लगने वाला कहीं फंस न जाना जल्दी घर वापस लौट आओ यहां भी लाकडाउन लग रहा है घर में सब बीमार हैं कोई रोजगार नहीं हो पा रहा यहां तक कि घर वालों की दवा दारु के लिए भी न तो डिस्पेंसरी और न ही कही कोई डाक्टर मिल रहा है।

मजदूर बोले…काम-धंधा बंद हो गया है तो यहां क्या करेंगे, परिवार वाले भी घर बुला रहे हैं

धर्मशाला में शीशों के कारोबारियों के पास मजदूरी करने वाले आरिफ निवासी रुडकी (उत्तराखंड) भी वाराणसी ट्रेन का सुबह 8 घंटों से इंतजार कर रहे थे उन्होंने कहा कि साहब…क्या बताएं इतने लोग कोरोना से नहीं मर रहे जितने लोग काम धंधा छूट जाने से बेरोजगार होकर भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। पिछले साल भी काम धंधा करने हिमाचल में आए थे तो कोरोना के कारण वापस लौटना पड़ा। अब थोड़ा दिन पहले जहां हम काम करते है लाॅकडाउन के दौरान हम लोग शीशे की लाेडिंग कर रहे थे कि पुलिस ने आकर छापा मारा और मालिक को भारी जुर्माना ठोक दिया। मालिक बोले कि अब काम बंद करना ही बेतहर है मेरे घर से भी बार-बार फोन आ रहे थे कि पिता जी टीबी के मरीज हैं जल्दी घर चले आओ हालत खराब है।

सोचा काम से भी जवाब हुआ तो अब घर चलना ही बेहतर है। सोमा कंपनी में काम करने वाले झारखंड के गांव ककारिया निवासी अर्जुन राम, बाबु राम सुबह 9 घंटों से पठानकोट कैंट स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे इन्होंने कहा कि कंपनी में कोरोना बढ़ता जा रहा है ऊपर से घर वालों को भी लाकडाउन का डर सता रहा था सो हमने भी छुटटी लेकर घर जाना ही बेहतर समझा यहां रहेंगे तो भुखमरी के शिकार हो जायेंगे इस लिए गांव वापिस लौट रहे है।

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