सेहत विभाग में अधिकारियों एवं कर्मियों की हाजिरी को यकीनी बनाने के लिए सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कांसरा समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित सेहत केंद्रों में छापेमारी कर रहे हैं। परन्तु अपने ही कार्यालय की छत के नीचे चल रहे जिला के प्रमुख सिविल अस्पताल में तैनात स्टाफ अपनी हाजिरी को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका शायद ही उन्हें आभास नही है। यहां अधिकतर स्टाफ अपनी मनमर्जी से अस्पताल पहुंचता है। इस बात की पोल बीते गत देर शाम को सिविल अस्पताल पहुंचे पूर्व परिवहन मंत्री मास्टर मोहन लाल के सामने मरीजों ने खोली। मास्टर अपनी पत्नी रेवा शर्मा के साथ सिविल अस्पताल में गत दिवस एक घायल बुजुर्ग के उपचार में अनदेखी करने संबंधी अधिकारियों से बात करने तथा मरीजों का हाल जानने के पहुंचे थे। यहां मरीजों ने जैसे ही मास्टर को देखा तो उन्होंने सिविल अस्पताल के डाक्टरों,कर्मियों की लेटलतीफी की पोल खोली।
बता दें कि अस्पताल खुलने का समय सुबह आठ बजे है परन्तु मरीजों अनुसार नौ बजे तक डाक्टरों की ओपीडी, डिस्पेसरी, टेस्ट रिपोर्ट रूप में कर्मी मौजूद नही रहते। मंगलवार सुबह जब सिविल अस्पताल का दौरा किया गया जो पाया कि डॉक्टरों की ओपीडी, डिस्पेसरी, टेस्ट रिपोर्ट रूप में 9 बजे तक कोई स्टाफ मौजूद नहीं था। दिन भर की चिलचिलती गर्मी से बचने के लिए मरीज सुबह समय पर अस्पताल आए थे, परन्तु यहां डॉक्टरों की देरी ने मरीजों के खूब पसीने बहाए। इस संबंधी पूर्व मंत्री ने तुरन्त मोबाइल पर सिविल सर्जन डाक्टर नरेश कांसरा से बात की। पूर्व मंत्री की बात सुनने के बाद सिविल सर्जन ने उन्हें आश्वासन दिया कि यह बात उनके ध्यान में आ गई है। मरीजों कोबेहतर सेहत सुविधाएं मिलें इसके लिए वह प्रयासरत हैं। पठानकोट सिविल अस्पताल में आगे से किसी भी स्टाफ की लेट लतीफी नही मिलेगी। यदि ऐसा होगा तो लेट लतीफ स्टाफ पर सख्त कार्यवाई होगी।
उपचार में अनदेखी करने वाले डॉक्टर के तबादले की उठी मांग
बता दें कि बीते शनिवार को वृक्ष से गिर कर घायल हुए वृद्ध ध्यान चंद निवासी गांव गुड़ाकलां के जबड़े में स्टि¨चग होनी थी। सिविल अस्पताल के एक सर्जन डाक्टर ने अपनी ड्यूटी समाप्त होने की बात कह कर घायल के परिजनों को उपचार करने के लिए मना कर दिया था। यह बात घायल के बेटे अशोक कुमार ने एसएमओ डाक्टर भूपिन्द्र ¨सह को बताई थी। डाक्टर ने तो उपचार नही किया परन्तु एसएमओ ने खुद मरीज की स्टि¨चग की उपचार दिया था। इस बात की परिजनों ने न केवल सिविल सर्जन ब्लकि एसएमओ को लिखित शिकायत भी की थी। उसी आधार पर आज परिजनों ने सिविल सर्जन डाक्टर नरेश कांसरा से भेंट की और मांग दोहराई कि जो डाक्टर मरीजों को अपनी सेवाएं प्रदान करने में जी चुराए उसे पठानकोट के प्रमुख सिविल अस्पताल में रहने का कोई हक नही है। इस बात को लेकर पूर्व मंत्री ने भी सिविल सर्जन से बात कर कार्यवाई करने की मांग की है। सिविल सर्जन ने पीड़ित के परिवार की बात सुन कर बनती कार्यवाई करने का आश्वासन दिया है।