शहर की 100 इमारतें जर्जर

जर्जर इमारतें शहर के लिए मौत का साया बनी हुई हैं। इनके गिरने कई लोग मौत के आगोश में समा चुके हैं। शहर में सैकड़ों ऐसी इमारतें हैं जोकि जर्जर हालत में पहुंच चुकी हैं। ऐसे में सैकड़ों लोगों के सिरों पर मौत का साया मंडरा रहा है।

दूसरी ओर इस मामले को लेकर निगम तथा पीडब्ल्यूडी विभाग गंभीर नजर नहीं आ रहा है। अंदाजन शहर में एक सौ के करीब इमारतें जर्जर हालत में पहुंच चुकी हैं।

परन्तु निगम तथा पीडब्ल्यूडी बी एंड आर विभाग के रिकार्ड में इनकी संख्या शून्य है। इससे प्रतीत होता है कि विभाग ने इन इमारतों पर कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। निगम के रिकार्ड के मुताबिक तीन वर्ष पहले बडेहरा मोहल्ला में जर्जर हालत इमारत के मालिक के खिलाफ किसी ने हलफिया बयान दिया था। इसके बाद निगम ने जर्जर हालत इमारत के मालिक को नोटिस देकर इसकी रिपेयर के निर्देश दिए थे।

शाहपुरकंडी कॉलोनी तथा थड़ा उपरला में हालात दयनीय

जिले में न केवल शहर के बीचों बीच बनी इमारतों तथा दुकानें बड़ी संख्या में जर्जर हालत में हैं अपितु बांध परियोजना की शाहपुरकंडी कॉलोनी और थड़ा उपरला से बने सरकारी आवासों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। बांध प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी इनकी मरम्मत के लिए कोई पग नहीं उठा रहा।

शिकायत की, लेकिन हर बार मिले मात्र आश्वासन

थीन डैम वर्कर्ज यूनियन के चेयरमैन नत्था ¨सह, अध्यक्ष जसवंत संधू, महासचिव जनक विशिष्ठ व अन्य नेताओं ने कहा कि खस्ता हालत कालोनी के संबंध में उनकी ओर से कई बार लिखित रूप से बांध प्रशासन, पूर्व मुख्यमंत्री बादल तथा अन्य अधिकारियों को सूचित किया गया है पर हर बार आश्वासनों के अन्य कुछ नहीं मिला। शाहपुरकंडी कालोनी में भी लगभग 3500 सरकारी आवास बने हैं। इनकी रिपेयर के लिये भी कुछ नहीं किया जा रहा।

फंड आने पर होगी रिपेयर

उधर बांध प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि आवासों की खस्ता हालत के लिये सरकार को पूरी स्थिति की जानकारी दे दी गई हैं। फंड न होने के कारण ही इनकी रिपेयर नहीं हो रही। जैसे ही फंड आएगा, आवासों की रिपेयर प्राथमिकता के आधार र करवाई जाएगी।

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