एनसीबीटी की परीक्षा नहीं दे पाए आइटीआइ के छात्र

स्व-रोजगार अपनाने के लिए एक ओर तो सरकार की ओर से युवाओं को तकनीकी कोर्सो के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर इन्हीं कोर्सो के लिए नियम स्पष्ट न होने के कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। ऐसा ही एक वाक्य आज आइटीआइ कॉलेज पठानकोट में देखने को मिला जिसमें बोर्ड की ओर से स्पष्ट हिदायतें न होने के कारण कॉलेज में शिक्षा ले रहे 9 छात्र वार्षिक परीक्षा नहीं दे पाए। इन विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों ने अपने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने तथा उनका एक वर्ष खराब होने के लिए कॉलेज प्रबंधन को जिम्मेवार ठहराया है।

वार्षिक परीक्षा से वंचित रहने वाले छात्र रोहित कुमार, शुभम, गुलशन कुमार, रमनदीप ¨सह, सतीश कुमार, करण कुमार, बलवीर कुमार, सागरमल तथा अमित राणा ने संयुक्त रूप से कहा कि उनकी ओर से आइटीआइ कॉलेज पठानकोट से विगत वर्ष स्टेट कौंसल फार वोकेशनल ट्रे¨नग (एससीवीटी) की परीक्षा पास की थी। अब वह नेशनल कौंसल फार वोकेशनल ट्रे¨नग (एनसीवीटी) की परीक्षा देने के लिए उनकी ओर से आइटीआइ कॉलेज में 1250 रुपये की राशि जमा करवाई गई थी। इसके बाद 18 जुलाई तथा 20 जुलाई को कॉलेज की ओर से उनके प्रेक्टिकल भी लिए गए थे। आज सुबह जब वह थ्यूरी का पेपर देने गए तो कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें भीतर जाने के लिए रोक दिया। पूछने पर उन्हें बताया गया कि रजिस्ट्रेशन न होने के कारण वह पेपर में नहीं बैठ सकते। कॉलेज प्रबंधन ने कहा कि दिल्ली से रजिस्ट्रेशन होनी थी,वह नहीं हो सकी तथा अब वह आगामी वर्ष ही पेपर दे सकते हैं।

कोई हरिद्वार तो कोई दिल्ली से आया था पेपर देने

एक साल खराब होने के बाद दैनिक जागरण से बात करते हुए छात्र गुलशन ने आरोप लगाया कि वह हरिद्वार में एक प्राइवेट कांटेक्टर के पास जॉब करता है। डेट शीट के आधार पर वह अपनी जॉब से छुट्टियां लेकर आया था परन्तु अब बिना पेपर दिए ही उसे वापस लौटना पड़ेगा। इसी प्रकार दिल्ली के एक होटल में नौकरी करने वाले अमित राणा ने भी पेपर न दिये जाने तथा उनका एक साल खराब होने का आरोप कालेज प्रबन्धन पर लगाया। उनका आरोप था कि वह दिल्ली में नौकरी करता था तथा छुट्टियां लेकर एग्जाम देने आया था। परन्तु कालेज की गलती के कारण ही वह पेपर नहीं डाल पाया।

तकनीकी शिक्षा मंत्री के ध्यान में लाएंगे मामला-अभिभावक

उधर,अपने बेटे के एग्जाम न देने से दुखी घरोटा निवासी अभिभावक सेवा ¨सह ने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रबन्धन की गलती के कारण ही बच्चे एग्जाम नहीं दे पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि बच्चों की ओर से बोर्ड की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा ही नहीं किया गया था तो उनके प्रेक्टिकल किस आधार पर लिए गए। उन्होंने कहा कि ये सारा मामला वह तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत ¨सह चन्नी के ध्यान में लाएंगे तथा जरूरत पड़ने पर हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।

विद्यार्थियों ने नहीं करवाई थी रजिस्ट्रेशन : प्रिंसिपल

आइटीआइ पठानकोट के प्रिंसिपल हरीश मोहन से जब इस बावत बात की गई तो उन्होंने कहा कि एनसीवीटी की परीक्षा देने वाले छात्रों की ओर से बिना रजिस्ट्रेशन करवाए, सीधा अप्लाई कर दिया गया था जिस कारण ही उनके लिए परेशानी उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि अब इसी फीस पर ये छात्र फरवरी-2018 में परीक्षा दे पाएंगे।

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