देशके महान योद्धा महाराणा प्रताप, जिनके बारे में इतिहास में बताया गया है कि हल्दी घाटी के युद्ध में हार गए थे, परन्तु अब समय गया है कि पूरे देश के लोगों को जागरूक किया जाए कि महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी में सोची-समझी रणनीति के तहत अपनी सेना को पीछे हटने के आदेश दिया था और उसके बाद फिर से हमला करके दिवेर युद्ध में अकबर की शक्तिशाली सेना को हराकर जीत हासिल की थी और मेवाड़ राज्य की पुन: स्थापना की थी। यह बात अखिल भारतीय क्षत्रिय राजपूत महासभा के अध्यक्ष और राष्ट्रीय चेतना अभियान के संयोजक कैप्टन कंवर विक्रम सिंह ने कही। उन्होंने बताया कि दिवेर युद्ध की विजय को कलश यात्रा के रूप में मनाया जा रहा है। इसमें महाराणा प्रताप जी के वंशज राजस्थान दिवेर की पावन मिट्टी का विजय कलश लेकर यात्रा निकालेंगे। यह यात्रा मेवाड़ से शुरु होकर हरियाणा और पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से होती हुई 4 सितंबर को पठानकोट स्थित कलेर पैलेस में पहुंचेगी। यहां विजय पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस कलश यात्रा में महाराणा प्रताप जी के वंशज से महाराजा रणधीर सिंह, युग प्रदीप सिंह, प्रदीप कुमार सिंह, महिन्द्र सिंह, कंवर करण सिंह, रानी विजय कमल, कंवर राजिंदर सिंह, नरेश सिंह चौहान, कंवर जे.एन सिंह विशेष तौर पर शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा शोध करके इस बारे में पता लगाया गया है कि हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप हारे नहीं थे बल्कि उनकी जीत हुई थी, परन्तु आज भी देश में बच्चों को दी जा रही शिक्षा की पुस्तकों में उनकी हार बताई जाती है, लेकिन अब इसमें अब बदलाव किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वह जल्द ही देश के कल्चरल मिनिस्टर से भी भेंट करेंगे और उनको अपने शोध के बारे में बताएंगे। उन्होंने कहा कि इस कलश यात्रा के पूरा होने के बाद 11 सितम्बर को पुन: पूरे देश में यात्रा निकाली जाएगी। इसमें राजपूतों के साथ-साथ सभी बिरादरी के लोगों को साथ लिया जाएगा। इसके लिए राष्ट्र स्तर पर संपर्क बनाए जा रहे हैं। यहां राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चौ.राजवीर सिंह, यूथ प्रधान पंजाब ठा.अमित मंटू, पंजाब उपाध्यक्ष कृपाल सिंह, ठा.सिकंदर सिंह पठानियां, महासचिव पंजाब ठा.करनैल सिंह, ठा.करण सिंह, ठा.राम र| सिंह मौजूद थे।
अखिल भारतीय क्षत्रिय राजपूत महासभा के सदस्य जानकारी देते हुए
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