दीपक कुमार, बमियाल
वाइल्ड लाइफ सेंचुरी कथलौर में पाबंदी के बावजूद गुज्जर अपने पशुओं को चराने ले जाते हैं। इससे कथलौर जंगल के जंगली जीवों पर जहां खतरा मंडरा रहा है। जंगली जीवों की सुरक्षा में सेंध लगाने की आशंका भी बनी हुई है।
कथलौर जंगल में कई प्रकार के जंगली जीव रहते हैं। इनके लिए विभाग द्वारा चारे, पानी सहित कई प्रकार की सुविधाएं जंगल में उपलब्ध करवाई गई हैं ताकि जंगली जीव जंगल से बाहर न निकलें और जंगल के अंदर सुरक्षित रहें। यहां पर आम लोगों के जाने व पशुओं के चराने पर पाबंदी है। बावजूद इसके कुछ लोग वन विभाग की कर्मियों से सांठगांठ कर जंगल में पशु चराने का गोरखधंधा कर रहे हैं। इसके एवज के आर्थिक लाभ उठाते हुए जंगली जीवों की सुरक्षा को ताक पर रखते हुए समय निश्चित कर पशु चराने का काम कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि बरसात के दिनों में भारी संख्या में पशु चराने लोग जंगल जाते हैं। बरसात के मौसम में जंगल पूरी तरह हरा-भरा रहता हैं और कई प्रकार के वृक्ष जिनके पत्ते पशु खाते हैं कि टहनियां तक काटी जा रही हैं। इतना ही नहीं सूत्रों के मुताबिक जंगल किनारे बसे गुज्जर समुदाय व कुछ अन्य लोग अपनी हर प्रकार की जरूरत के लिए जंगल से लकड़ी प्राप्त कर रहे हैं, यह सब कुछ लोगों की कथित मिलीभगत से हो रहा हैं। जंगल में पशु चराने के दूसरे पहलू को देख तो यह सुरक्षा के लिहाज से भी घातक हो सकता हैं, क्योंकि पिछले दिनों से लगातार इनपुट मिल रहे हैं कि गुज्जर समुदाय से मेल खाते कुछ लोग पंजाब में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता हैं कि जिस तरह गुज्जर समुदाय के कुछ लोग जहां सरेआम अपने पशु लेकर जंगल में प्रवेश कर रहे हैं, कही इसकी आड़ में संदिग्ध इस बात का फायदा न उठा ले।
मामले की जांच करवाएंगे : डीएफओ
इस मामले संबंधी वन जीव विभाग के डीएफओ रमेश महाजन ने कहा कि अगर ऐसा हो रहा हैं तो मामला गंभीर है। वह इसकी पूरी पड़ताल करवाएंगे, ताकि जंगल व जंगली जीव सुरक्षित रहे।