रेल मंत्री के प्रोजेक्टों में पठानकोट का जिक्र नहीं

रेल मंत्री के प्रोजेक्टों में पठानकोट का जिक्र नहीं

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रविवार को बठिंडा में पंजाब से जुड़े सात बड़े रेल प्रोजेक्टों का शिलान्यास किया, मगर एक सदी से अधर में लटके ब्यास-कादियां रेलवे लिंक प्रोजेक्ट पर हर बार की तरह उन्होंने ध्यान नहीं दिया और ही पठानकोट के नैरोगेज सेक्शन को ब्रॉडगेज करने के बारे में उन्होंने कोई ऐलान किया। इस कारण गुरदासपुर-बटाला के साथ-साथ पठानकोट जिले के लोगों में निराशा है।

बता दें कि पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेललाइन को पठानकोट और कांगड़ा घाटी की लाइफ लाइन माना जाता है और लोगों की मांग है कि इस सेक्शन को ब्राडगेज किया जाए। इस संबंध में शहरवासी गुरदासपुर हलके के लोकसभा सदस्य सांसद विनोद खन्ना से भी कई बार बात कर चुके हैं। शहरवासियों का यह भी कहना है कि नैरोगेज सेक्शन को ब्रॉडगेज करने से शहर का हिमाचल और हिमाचल का पंजाब से लिंक कारोबार बढ़ेगा। उनकी मांग है कि अगर नैरोगेज सेक्शन को डल्हौजी रोड शिफ्ट कर दिया जाए तो शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या से राहत मिलेगी। लोगों का कहना है कि शहर से कांगड़ा के लिए रोजाना 14 ट्रेनों की आवाजाही रहती है। ऐसे में 14 बार रेलवे फाटक बंद होने से शहर में जाम की समस्या रहती है, इसलिए नैरोगेज सेक्शन को डल्हौजी रोड शिफ्ट करना चाहिए। पंजाब के प्रोजेक्टों में रेल मंत्री को पठानकोट से जुड़ा कोई कोई प्रोजेक्ट शामिल जरूर करना चाहिए था।

कादियां-ब्यास रेलवे लिंक प्रोजेक्ट फिर लटका | 11दिसंबर, 2011 को केंद्रीय रेल मंत्रालय ने 39.68 किलोमीटर लंबे ब्यास-कादियां रेलवे लिंक को मंजूरी देकर इसके लिए 242 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की थी और उस समय केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को जमीन एक्वायर करने के निर्देश दिए थे। रविवार को सरहदी जिले के लोगों को उम्मीद थी कि केंद्रीय रेल मंत्री इस पर कुछ ऐलान करेंगे, मगर ब्यास-कादियां रेलवे लिंक पर कोई घोषणा नहीं हुई।

प्रताप सिंह बाजवा।

कांग्रेस के वरिष्ठ राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने बताया कि 2013 के रेलवे बजट में उनकी ही कोशिशें से रेल मंत्रालय ने कादियां-ब्यास रेलवे लिंक के लिए राशि मंजूर हुई और पंजाब सरकार को जमीन एक्वायर करने के लिए निर्देश दिए गए। मगर एनडीए सरकार आने पर यह प्रोजेक्ट जानबूझ कर केंद्र सरकार ने रोक दिया, क्योंकि पंजाब सरकार को ऐसे लगता रहा है कि इस प्रोजेक्ट का क्रेडिट उन्हें (प्रताप सिंह बाजवा) को मिलेगा, जिस कारण पंजाब सरकार ने जमीन एक्वायर का काम ही शुरू नहीं करवाया। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने ब्यास से कादियां की तरफ रेल से आना हो, तो उसे वाया अमृतसर बटाला 100 किलोमीटर का लंबा रेलवे सफर तय करना पड़ता है। कादियां में जमाअत-ए-अहमदिया का हैडक्वार्टर होने से पूरे देश से लाखों मुस्लिम भाईचारे के लोग आते हैं और उन्हें 100 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता है, जबकि ब्यास में राधा स्वामी का डेरा होने के कारण गुरदासपुर, पठानकोट, हिमाचल जम्मू-कश्मीर से आने वाले लोग रेल के जरिए वाया अमृतसर-ब्यास तक पहुंचते हैं।

SOURCE: goo.gl/LMN3wM


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