पठानकोट के किसान बने औरों के लिए प्रेरणा स्रोत
पंजाब ही नहीं, पूरे उत्तर भारत में धान की कटाई के बाद पराली को जलाने के कारण जहां धुएं से आम लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत आ रही है, वहीं जिला प्रशासन तथा कृषि विभाग की ओर से पठानकोट में शुरू की गई जागरूकता मुहिम ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। क्षेत्र के कृषकों ने प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से शुरू की गई जागरुकता मुहिम का अनुसरण करते हुए पराली को खेतों में जलाने के बजाए गुज्जर समुदाय के लोगों को बेच कर अथवा हैपीसीडर मशीन से खाद का रूप देकर हवा को प्रदूषित होने से बचाने का सफल प्रयास किया है। इससे जहां बड़ी मात्रा में पैदा होने वाली जहरीली गैसों के प्रभावों से बचाव हुआ है, वहीं दूसरी ओर किसानों को आर्थिक लाभ भी मिला है। यह बात आज विभिन्न गांवों का दौरा करने के दौरान किसानों से बात करने पर सामने आई है। जांच के दौरान पता चला कि किसान पराली को जलाने के बजाए मिट्टी को स्वस्थ्य रखने, हवा को प्रदूषित होने से बचाने, मिट्टी के मित्र कीटों के बचाव के प्रति जागरूक हुआ है। मालूम हो कि जिले में कुल एक लाख पांच हजार पशु धन है, जिसे खाने के लिए 20 किलो प्रति किलो के हिसाब से लगभग 7 लाख, 66 हजार टन चारा प्रति वर्ष चाहिए, जबकि पठानकोट में 27 हजार हेक्टेयर रकबे में बीजे गए धान की फसल से लगभग एक लाख पांच हजार टन पराली पैदा होती है।
पराली को शरेडर मशीन से दिया खाद का रूप : ज्ञान ¨सह
गांव जंगल के किसान मास्टर ज्ञान ¨सह ने अपने खेतों में धान की कटाई के बाद शेष रहती पराली को जलाने के बजाए उसे खाद का रूप दिया है। ज्ञान ¨सह ने बताया कि उन्होंने अपनी खेतों में पराली को चौपर कम शरेडर मशीन से कटाई करवाई। इसके बाद तवियां तथा रोटावेटर से मिलाकर 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ डाल कर पानी लगाने के उपरांत कुछ दिनों के बाद गेहूं की बुआई शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को अपनाने से उनके रासायनिक खादों पर खर्चे भी कम हुए हैं तथा प्रदूषण से भी बचाव हुआ है।
पराली को बेच कर कमाया लाभ : गुरविंद्र ¨सह
गांव जमालपुर के किसान गुरविंद्र ¨सह ने कहा कि कृषि विभाग की नसीहत उनके बेहद काम आई। गांवों समूह किसानों ने कृषि विभाग के कहने पर पराली को आग लगाने के बजाए 1700 रुपये से लेकर 2500 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से गुज्जर समुदाय के लोगों को बेच लाभ कमाया है, जिससे धान की कटाई पर होने वाला खर्च कम हुआ है। साथ ही साथ पराली के धुएं से प्रदूषित होने वाली हवा का भी बचाव हुआ है।
पराली न जलाकर एक ही समय में लिए कई फायदे : अमोल ¨सह
गांव सुलतानपुर के किसान अमोल ¨सह ने बताया कि धान की कटाई के बाद कटर से खेतों की पराली तथा मुंड को काट कर गुज्जर समुदाय को बेच कर उन्होंने एक ही समय पर कई फायदे कमाए हैं। उन्होंने कहा कि पराली को बेच कर जहां उन्होंने आर्थिक लाभ कमाया है, वहीं पराली को बिना जलाए हैपीसीडर मशीन से इसे खाद के रूप में प्रयोग कर दोगुणा फायदा लिया है। उन्होंने बताया कि इस तरह धान की कटाई तथा खेत तैयार करने पर आने वाले खर्च से बचने पर धुएं के साथ पैदा होने वाली जहरीली गैसों से बचाव हो गया है।
विभागीय प्रयासों से दिखे बढि़या नतीजे : डीसी
जिलाधीश अमित कुमार ने कहा कि खेतीबाड़ी विभाग की ओर से चलाई गई विशेष मुहिम तथा पंजाब पुलिस की ओर से की गई सख्ती से पठानकोट में कुछ ही समय में
अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं। उन्होंने कहा कि इससे जहां किसानों ने अपनी आमदानी में बढ़ोतरी की है, वहीं वातारण को प्रदूषित होने से भी बचाया है।
SOURCE: goo.gl/5F1gD1
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