जीवन जीने का ढंग है गीता

जीओ गीता के संग, सीखों जीने का ढंग। यह अनमोल बात श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति की ओर से श्री रामलीला ग्राउंड में आयोजित दिव्य गीता सत्संग कार्यक्रम के दौरान गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने श्री कृष्ण भक्तों पर अमृत की वर्षा करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि दिव्य गीता वही है जिससे हमें जीने की कलां सीखने का सुअवसर मिलता है। कुरुक्षेत्र के मैदान में जब कौरव-पांडव का युद्ध शुरू होने लगा तो भगवान श्री कृष्ण के साथ धनुरधारी अर्जुन ने संवाद के दौरान कहा कि हे भगवान मेरे हाथ कांप रहे है, इस लिए आप मेरे रथ के सारथी बना जाओ ताकि मुझे भी एहसास हो कि अब युद्ध का परिणाम भले ही जो भी हो, लेकिन मेरी सुरक्षा की डोर, सुरक्षित हाथों में है।

यह सुनते ही भगवान श्री कृष्ण भक्त के सारथी बन गए। अर्जुन भय मुक्त हो गए। इस मौके पर पंजाब प्रधान डा. सुदर्शन अग्रवाल, राजकुमार, प्रधान राम लाल सहौत्रा, अजय गुप्ता, संजीव गर्ग, अश्वनी, केवल गुप्ता, ¨प्रसिपल डा. दिनेश शर्मा, साहिल महाजन, विनोद महाजन, मानव गुप्ता, मनोहर लाल, सुनील महाजन गोगी, मनु महाजन, एडवोकेट जितेंद्र देव गुप्ता, विपिन महाजन, अर¨वद पाराशर, मैडम शोभा पाराशर के अतिरिक्त अन्य भी थे।

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