जो जीव गुरु दे नाल जुड़े रैहणगे, ओह तुरे रैहणगे..

निरंकारीभवन में संयोजक महात्मा मनोहर लाल शर्मा की अध्यक्षता में सत्संग हुआ। इसमें कोटली ब्रांच के मुखी महात्मा वेद भूषण विशेष रूप से मौजूद रहे। सत्संग निरंकारी बाबा अवतार सिंह जी के जीवन पर आधारित रहा। यहां उपस्थित संगत को एलसीडी के माध्यम से उनके जन्म से लेकर शरीर छोड़ने तक दिए गए मानवता के संदेश को दर्शाया गया।

महात्मा वेद भूषण ने प्रवचनों में बाबा अवतार सिंह की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। बाबा बूटा सिंह को गुरु पाकर उनके आज्ञाकारी सेवक बने। फिर गुरु की आज्ञा से कब गुरु बनने के बाद मानवता की भलाई के लिए उनके कदम चल पड़े। उन्होंने निरंकारी सतगुरु माता सविन्द्र हरदेव महाराज के उन वचनों की पालना करने के लिए प्रेरित किया जिसमें सतगुरु माता ने मीठा बोलने, नीवां होकर चलने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि जो जीव गुरु दे नाल जुड़े रैहणगे ओह तुरे रैहणगे। इस मौके पर क्षेत्रीय संचालक महात्मा सूरज मोहन कालड़ा, संचालक महात्मा हरबंस सिंह, शिक्षक महात्मा उत्तम चंद भी मौजूद रहे।

निरंकारी भवन में सत्संग समागम के दौरान मौजूद संगत और सदस्य।

SOURCE: goo.gl/qzTWzj

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