पांच दरियाओ की धरती कहे जाने वाले पंजाब प्रदेश के पठानकोट स्थित अर्ध पहाड़ी क्षेत्र धार दुनेरा में इन दिनों पीने योग्य पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। ये वह क्षेत्र हैं जहां रावी दरिया तो बहती है परन्तु बावजूद इसके लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर तय कर उसे लाना पड़ रहा है। धार क्षेत्र के लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांवों के लोगों के लिए पानी बड़ी समस्या बनकर उभरी है।
पिछले कुछ दिनों से वाटर सप्लाई विभाग की ओर से पर्याप्त मात्रा में पानी न दे पाने के कारण हजारों की संख्या में लोग पांच से सात किलोमीटर दूर स्थित बाऊलियां तथा कुओं से पानी लाने पर निर्भर हो गए हैं। भीषण अत्यंत गर्मी के कारण अधिकतर कुदरती स्त्रोतों के भी सूख जाने के बाद पशुओं के लिये तथा अपने खुद के नहाने के लिए उन्हें रावी दरिया पर बने रंजीत सागर डैम की झील ही एक मात्र सहारा बन रही है।
विभागीय अधिकारियों की माने तो धार क्षेत्र में पानी की समस्या के उत्पन्न होने का बड़ा कारण क्षेत्र में लगी वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट के काफी पुराने होना है। उनका मानना है कि समय के साथ अब इन क्षेत्रों में आबादी बढ़ जाने के कारण ही वह पर्याप्त मात्रा में लोगो तक पानी नहीं पहुंचा पा रहा है। वहीं ग्रामीणों ने पंजाब के इस आखिरी हिस्से में बसे करीब बीस गांवों की और ध्यान दिये जाने की अपील की है।
अर्ध पहाड़ी क्षेत्र में पीने योग्य पानी की समस्या के उत्पन्न होने का एक बड़ा कारण वाटर सप्लाई विभाग की ओर से लगातार वाटर सप्लाई के कनेक्शन काटना भी है। ऐसे ही कनेक्शन काटने आए वाटर सप्लाई विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को गांव धार खुर्द में लोगों की विरोध का सामना करना पड़ा। कंडी विकास मोर्चा के महासचिव ओम प्रकाश मग्गर ने कहा कि वाटर सपलाई विभाग लोगों की समस्या को एक तरफ रख भीषण गर्मी के दिनों में पानी के कनेक्शन काट रहा है। कनेक्शन काटने आए अधिकारियों को उन्होंने ग्रामीणों को साथ लेकर सवाल किया कि जब ग्रामीण प्रति माह विभाग को पानी के बिल भरता है तो ऐसे में लोगों को पानी मुहैया करवाना भी विभाग का काम है। उन्होंने कहा कि वाटर सप्लाई विभाग के कुछेक कर्मचारी ग्रामीणों की प्राइवेट कनेक्शनों की अधूरी फाइलें लेकर लगातार गांव आ रहे हैं तथा सिक्योरिटी के नाम पर तीन सौ रुपये से लेकर छह सौ रुपये तक की रकम वसूल रहे हैं। परन्तु ली गई इस राशि के बदले ग्रामीणों को कोई रसीद तक नहीं दी जा रही।
महिलाएं सिर पर घड़े रखकर तथा पुरुष वाहनों पर ढो रहे हैं पानी
क्षेत्र में सरकार के सारे विकास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। क्षेत्र में महिलाएं अपने सिरों पर घड़े उठा कर कई किलोमीटर पैदल चल कर पीने योग्य पानी लाने को मजबूर हैं। वहीं बच्चे, बुजुर्ग व पुरुषण वाहनों से पानी ढोने को मजबूर हैं। नौकरी पेशा लोगों के लिए तो यह बड़ी समस्या बन गई है। ग्रामीण जमना देवी, बिमला देवी, मघर ¨सह सहित इस इलाके के लोगो ने बताया की गर्मियों में उन्हें पानी की बहुत दिक्कत आती है। उन्हें कुदरती स्त्रोतों का सहारा लेना पड़ता है अगर कही वाटर सप्लाई है तो वहां कई दिनों तक पानी नहीं आता है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि ग्रीष्म ऋतु में पीने योग्य पानी की उनकी किल्लत को यथाशीघ्र हल करने के लिये उसका समाधान किया जाए।
पहाड़ी क्षेत्रों में लगे प्रोजेक्ट पुराने, आबादी के हिसाब से पानी पहुंचाने मे आ रही दिक्कत : एसडीओ
उधर,इस संदर्भ में जब वाटर सप्लाई विभाग के एसडीओ सिमरनजीत ¨सह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण जहां लोगों तक पर्याप्त मात्रा में पानी पहुंचाने के लिये जो प्रोजेक्ट होने चाहिये थे,वह नहीं लग पाए हैं। वर्तमान समय में जो प्रोजेक्ट लगे हुए हैं,वह भी काफी पुराने हैं। इस कारण आबादी के हिसाब से लोगो तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से पानी को झील से लि¨फ्टग करके लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन इसमें दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा की इस क्षेत्र में नए बड़े प्रोजेक्टों पर विचार किया जा रहा है। संभवत आगामी दिनों में इन प्रोजेक्टों पर उच्चाधिकारियों की सहमति बनने के बाद काम शुरू हो जाए। उन्होंने कहा कि नए प्रोजेक्ट लगने के बाद ही पानी की किल्लत पूरा हो सकेगी।