सिविलअस्पताल के ब्लड बैंक में खून की शाॅर्टेज पैदा हो गई है। 600 यूनिट स्टाॅक वाले ब्लड बैंक में मात्र 40 यूनिट्स ही शेष बची है। इसका कारण स्कूल, काॅलेजों में छट्टियां और एनजीओज का रक्तदान में इंट्रेस्ट दिखाना बताया जा रहा है।
अस्पताल में रोजाना 20 से 25 यूनिट ब्लड की खपत हो रही है। अब ब्लड बैंक कर्मी रक्त लेने रहे लोगों को ब्लड डोनेट करने के बाद ही दे रहे हैं। जिले के सिविल अस्पताल में कम से कम 300 ब्लड यूनिट का स्टॉक होना जरूरी है।
ब्लड बैंक के बीटीओ डाॅ. सुरिंद्र मैडम राजविंद्र कौर का कहना है कि जून महीने में एक्सीडेंट, डिलीवरी अन्य केसों में बढ़ोतरी के चलते रोजाना ब्लड की डिमांड बढ़ रही है, लेकिन डोनर नहीं मिल रहे। उन्होंने कहा कि पहले पठानकोट ब्लड बैंक में खून की शाॅर्टेज के चलते अमृतसर से मंगवा लिया जाता था, लेकिन अमृतसर में भी ब्लड की कमी है।
उन्होंने शहर की संस्थाओं और शहरवासियों से अपील की है कि ब्लड डोनेट करें, ताकि कीमती जानो को बचाया जा सके। मिनी युवा क्लब पटेल चौक के प्रधान एनसी मेहरा ने सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में पहुंच खुद का रक्त डोनेट कर लोगों को ब्लड देने के लिए अवेयर किया। उन्होंने कहा कि अगर एक-एक यूनिट सभी लोग दें, तो ब्लड बैंक में कभी खून की कमी नहीं आएगी।
3 महीने में 1 बार रक्तदान जरूर करें : डॉ. मेहरा
मिनीयुवा क्लब पटेल चौक के प्रधान एनसी मेहरा ने रक्तदान करने के बाद भास्कर से कहा कि वह खुद पेशे से डॉक्टर हैं और हर शहरवासी को रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए। वहीं शहरवासियों, संस्थाओं आम पब्लिक को चाहिए कि तीन महीने में एक बार रक्तदान जरूर करें, ताकि इमरजेंसी में आने वाले मरीजो की जान को बचाया जा सके।
सिविल में ब्लड डोनेट कर लोगों को रक्तदान करने का आह्वान करती टीम।
खून की कमी
ब्लड बैंक में हर ग्रुप की बची हैं मात्र 3-4 यूनिट्स
सिविलअस्पताल में ए-पाजिटिव नेगेटिव, बी पाॅजीटिव नेगेटिव, एबी पाॅजीटिव, एबी नेगेटिव, ओ-पॉजीटिव, नेगेटिव मात्र 3 से 4 यूनिट्स ही बची है। इनमें एक-दो बची यूनिटों को इमरजेंसी के लिए रखा गया है। ऐसे में अगर एक साथ इन ग्रुपों के ब्लड की जरूरत पड़ती है तो अस्पताल प्रबंधन के पास मरीजों को मना करने के सिवा कोई चारा नहीं बचा है।
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